Prashant Kishor on Bihar Politics: अगर उनकी पार्टी 20-25 seats जीत जाए तो क्या होगा?

By: Rebecca

On: Monday, August 18, 2025 4:22 AM

Prashant Kishor on Bihar Politics: अगर उनकी पार्टी 20-25 seats जीत जाए तो क्या होगा?
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बिहार की राजनीति हमेशा से ही बदलाव और गठबंधनों की राजनीति से पहचानी जाती रही है। ऐसे माहौल में जब चुनावी सरगर्मी बढ़ती है, तो हर राजनीतिक दल और नेता अपनी रणनीतियाँ तेज़ कर लेते हैं। हाल ही में चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) का बयान सुर्खियों में है। उन्होंने साफ़ कहा है कि अगर उनकी पार्टी को 20–25 seats मिलती हैं, तो वे अपने विधायकों को किसी गठबंधन में “बेचने” के बजाय एक अलग विकल्प के रूप में खड़ा करेंगे।

प्रशांत किशोर का ताज़ा बयान – बिहार की राजनीति में हलचल

प्रशांत किशोर ने एक बड़ा बयान देकर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी को 20–25 सीटें मिलती हैं, तो वे गठबंधन की राजनीति का हिस्सा नहीं बनेंगे। उनका इशारा साफ है कि वे “किंगमेकर” बनने की बजाय, बिहार की जनता को नया राजनीतिक विकल्प देना चाहते हैं।

गठबंधन की राजनीति पर सीधा प्रहार

बिहार की राजनीति दशकों से गठबंधन पर टिकी रही है। कभी RJD और कांग्रेस का गठबंधन, कभी BJP और JDU की साझेदारी, तो कभी महागठबंधन बनाम NDA का संघर्ष। ऐसे माहौल में PK का यह कहना कि वे गठबंधन से दूर रहेंगे, सीधे तौर पर पुरानी परंपरा को चुनौती देना है।

PK की पार्टी का भविष्य – 20-25 सीटों की ताकत

बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। ऐसे में 20–25 सीटें अपने आप में बहुत बड़ी संख्या तो नहीं लगतीं, लेकिन यह इतना ज़रूर है कि सरकार बनाने या बिगाड़ने में इनका अहम रोल हो सकता है। PK जानते हैं कि यदि वे इतनी सीटें ले आते हैं, तो मीडिया और जनता दोनों की नज़र उन पर टिक जाएगी।

“विधायकों की खरीद-फरोख्त” से दूरी का वादा

PK का यह कहना कि वे अपने विधायकों को बेचेंगे नहीं, एक तरह से बिहार की पुरानी राजनीति पर कटाक्ष है। कई बार राज्य की राजनीति में विधायकों के दल-बदल, पैसों और सत्ता के लिए सौदेबाज़ी की बातें सामने आती रही हैं। PK खुद को इस गंदे खेल से अलग दिखाना चाहते हैं।

जनता को “तीसरा विकल्प” देने की रणनीति

बिहार की राजनीति लंबे समय से दो ध्रुवों पर सिमटी रही है – NDA और महागठबंधन। लेकिन PK का मकसद इस “दो पार्टी सिस्टम” को तोड़कर जनता को तीसरा विकल्प देना है। उनका मानना है कि जब तक बिहार की जनता के पास असली विकल्प नहीं होगा, तब तक बदलाव नामुमकिन है।

युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों पर फोकस

PK का मुख्य फोकस बिहार के युवा मतदाता हैं। वे जानते हैं कि बड़ी संख्या में युवा राज्य की बेरोज़गारी और पलायन से परेशान हैं। अगर वे इस वर्ग को सही तरीके से जोड़ पाते हैं, तो 20–25 सीटें जीतना मुश्किल नहीं होगा। यही कारण है कि उनके बयान का असली टारगेट युवा पीढ़ी है।

क्या PK “किंगमेकर” बनेंगे या “नेता”?

20–25 सीटों के साथ कोई भी पार्टी बिहार में “किंगमेकर” बन सकती है। लेकिन PK ने साफ कर दिया है कि वे “किंगमेकर” नहीं, बल्कि नेता बनना चाहते हैं। वे गठबंधन की राजनीति में “जोड़-घटाना” करने के बजाय, बिहार को अपने दम पर नई दिशा देना चाहते हैं।

अन्य पार्टियों पर दबाव की राजनीति

PK के इस बयान से RJD, JDU और BJP जैसी पार्टियों पर दबाव बनता है। अगर उनकी पार्टी सच में 20–25 सीटें जीत लेती है, तो इन बड़ी पार्टियों की रणनीति बदलनी पड़ेगी। यह संदेश भी है कि बिहार की राजनीति अब “दो-तीन पार्टियों की monopoly” पर नहीं टिक सकती।

जनता की प्रतिक्रिया – क्या होगा समर्थन?

PK का बयान मीडिया में छाया हुआ है, लेकिन असली सवाल है कि जनता इसे कैसे लेगी। क्या बिहार की जनता वाकई बदलाव चाहती है? क्या लोग पुरानी पार्टियों से तंग आ चुके हैं? यदि हाँ, तो PK के पास बड़ा मौका है। लेकिन अगर जनता को उनका संदेश नहीं भाया, तो सीटें सिर्फ़ सपने रह जाएँगी।

2025 के चुनाव में PK की भूमिका – गेम चेंजर या प्रयोग?

बिहार चुनाव 2025 PK के लिए “लिटमस टेस्ट” होगा। यदि वे 20–25 सीटें जीतते हैं और गठबंधन से दूर रहते हैं, तो वे वाकई “गेम चेंजर” बन सकते हैं। लेकिन अगर यह प्रयोग असफल होता है, तो उनकी पार्टी भी अन्य छोटी पार्टियों की तरह गुमनामी में खो सकती है।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर का यह बयान बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ता है। यह बयान सिर्फ़ सीटों की बात नहीं है, बल्कि एक नई सोच और रणनीति का ऐलान है। सवाल यही है कि क्या बिहार की जनता PK के इस वादे और विज़न पर भरोसा करेगी? आने वाले चुनाव इसका जवाब देंगे।

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