गुजरात में केजरीवाल का मिशन और बिहार में प्रशांत किशोर का Mission – एक समान रणनीति?

By: Rebecca

On: Thursday, August 21, 2025 4:26 AM

गुजरात में केजरीवाल का मिशन और बिहार में प्रशांत किशोर का Mission - एक समान रणनीति?
Follow Us

भारतीय राजनीति में समय-समय पर नए प्रयोग होते रहते हैं। कभी कोई नया चेहरा चर्चा में आता है तो कभी कोई पुराना खिलाड़ी अपनी रणनीति बदलकर मैदान में उतरता है। आजकल दो ऐसे ही चेहरे—अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर—राजनीतिक बहस के केंद्र में हैं। एक ओर केजरीवाल गुजरात में अपने राजनीतिक Mission के साथ सक्रिय हैं तो दूसरी ओर प्रशांत किशोर बिहार में अपनी ज़मीन तैयार कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि दोनों की रणनीतियों में कई समानताएँ दिखाई देती हैं।

स्थानीय मुद्दों पर सीधी पकड़

गुजरात में केजरीवाल और बिहार में प्रशांत किशोर दोनों ही नेताओं का फोकस स्थानीय मुद्दों पर है।केजरीवाल ने गुजरात में बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य को अपना मुख्य चुनावी एजेंडा बनाया।वहीं, प्रशांत किशोर बिहार में बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा व्यवस्था को लेकर युवाओं से सीधे संवाद कर रहे हैं यह रणनीति दर्शाती है कि दोनों ही जनता की नब्ज़ पकड़ने पर ज़ोर दे रहे हैं।

जनता से सीधे संवाद की शैली

दोनों नेता भीड़भाड़ वाले मंचीय भाषणों से अधिक जनसंवाद को प्राथमिकता देते हैं। केजरीवाल मोहल्ला सभाओं और रोड शो के माध्यम से लोगों तक पहुँचते हैं। प्रशांत किशोर अपने जन सुराज अभियान के तहत गाँव-गाँव पैदल यात्रा कर रहे हैं। यह सीधा संवाद लोगों को यह एहसास कराता है कि उनकी बातें सीधे सुनी जा रही हैं।

भ्रष्टाचार विरोधी छवि का प्रयोग

केजरीवाल की पहचान भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़ी रही है। गुजरात में भी उन्होंने खुद को ‘ईमानदार राजनीति’ का चेहरा बताने की कोशिश की। प्रशांत किशोर भी बिहार में यही छवि गढ़ने में लगे हैं। वे कहते हैं कि वर्तमान राजनीति लालू और नीतीश के बीच बँट चुकी है और ईमानदारी से विकास की बात करने वाला विकल्प नहीं है। यह साफ दिखाता है कि दोनों का मिशन “साफ-सुथरी राजनीति” को बढ़ावा देना है।

शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस

केजरीवाल की राजनीति दिल्ली मॉडल से जुड़ी है जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख बिंदु रहे हैं। गुजरात में उन्होंने वही मॉडल प्रचारित किया।प्रशांत किशोर भी बिहार में यही मुद्दा बार-बार उठाते हैं। उनका मानना है कि अगर बिहार को आगे बढ़ाना है तो शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करना ज़रूरी है यानी दोनों नेताओं की सोच में यह समानता नज़र आती है।

युवाओं को केंद्र में रखना

गुजरात हो या बिहार, युवाओं को साधे बिना कोई भी राजनीतिक अभियान अधूरा है केजरीवाल गुजरात में मुफ्त शिक्षा और रोजगार योजनाओं की बात करते हैं प्रशांत किशोर युवाओं से लगातार मुलाकात कर उन्हें राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित करते हैं।

दोनों का लक्ष्य स्पष्ट है – युवा शक्ति को अपनी राजनीति से जोड़ना।

विकल्प की तलाश कर रही जनता को अपील गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस की पुरानी जंग के बीच लोग नए विकल्प की ओर देखते हैं।केजरीवाल ने खुद को उस विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। बिहार में भी जनता लंबे समय से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की राजनीति से थक चुकी है। प्रशांत किशोर इसी खाली जगह को भरने का प्रयास कर रहे हैं इससे साफ है कि दोनों राज्य विकल्प की राजनीति के भूखे हैं और दोनों नेता उसी स्पेस को कैश करना चाहते हैं।

जमीनी स्तर की सक्रियता

सिर्फ सोशल मीडिया या टीवी डिबेट से राजनीति नहीं चलती केजरीवाल ने गुजरात में लगातार कार्यकर्ताओं को गाँव-गाँव भेजकर माहौल बनाने की कोशिश की प्रशांत किशोर खुद गाँवों में जाकर जनता के बीच रहते हैं, रातें वहीं गुजारते हैं यह जमीनी सक्रियता ही उन्हें परंपरागत नेताओं से अलग करती है।

मीडिया और नैरेटिव पर पकड़

राजनीति सिर्फ काम करने से नहीं, बल्कि उसे सही तरह से पेश करने से भी बनती है केजरीवाल दिल्ली की मीडिया रणनीति गुजरात में भी ले गए प्रशांत किशोर खुद मीडिया मैनेजमेंट के मास्टर माने जाते हैं। उन्होंने पहले कई नेताओं को चुनाव जिताने में अहम भूमिका निभाई इसलिए दोनों के लिए मीडिया सिर्फ खबर नहीं बल्कि रणनीति का हिस्सा है।

छोटे-छोटे वादों से भरोसा जीतने की कोशिश

बड़े-बड़े सपनों के बजाय दोनों नेता जनता को व्यावहारिक वादे पेश करते हैं केजरीवाल ने बिजली मुफ्त और शिक्षा में सुधार जैसे स्पष्ट वादे किए प्रशांत किशोर कहते हैं कि बिहार में विकास की शुरुआत छोटे सुधारों से होगी। यानी दोनों की सोच है – छोटे वादों से भरोसा पैदा करना और धीरे-धीरे बड़ा बदलाव लाना।

राजनीतिक भविष्य की बड़ी तस्वीर

गुजरात में केजरीवाल की रणनीति सिर्फ राज्य तक सीमित नहीं है। उनका लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को मजबूत करना है। वहीं, प्रशांत किशोर भी बिहार को अपना प्रयोगशाला मानकर लंबी राजनीति की तैयारी कर रहे हैं दोनों की योजनाएँ राज्य से बाहर निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में असर डालने वाली हैं।

निष्कर्ष

गुजरात में केजरीवाल और बिहार में प्रशांत किशोर की रणनीतियाँ काफी हद तक एक जैसी लगती हैं। दोनों ही जनता के बीच जाकर, स्थानीय मुद्दों पर फोकस करके और युवाओं को केंद्र में रखकर राजनीति की नई शैली गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि केजरीवाल पहले से ही मुख्यमंत्री और स्थापित नेता हैं, जबकि प्रशांत किशोर अभी अपनी राजनीतिक पहचान को स्थायी रूप देने की कोशिश में हैं।

    For Feedback - feedback@example.com

    Join WhatsApp

    Join Now

    Leave a Comment