प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार की धरती पर पहुंचे हैं और इस बार उनका फोकस है Mission Champaran। एक ओर जहां वे विकास की सौगात लेकर आए हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी नजर 2025 के विधानसभा चुनावों में बिहार की 21 सीटों पर है। आइए जानते हैं ‘मिशन चंपारण’ से जुड़ी 10 अहम बातें जो पीएम मोदी के इस दौरे को खास बनाती हैं।
मोतिहारी से ‘मिशन चंपारण’ की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी से ‘मिशन चंपारण’ की शुरुआत की। इस दौरे के दौरान उन्होंने करीब ₹7217 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया, जिसमें कनेक्टिविटी, आईटी, रेलवे और स्टार्टअप से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।
बिहार को मिला विकास का बड़ा तोहफा
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि आज का दिन बिहार की विकास यात्रा में ऐतिहासिक साबित होगा। इस दौरान उन्होंने बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए विकास परियोजनाओं का ऐलान किया, जिनमें रेलवे के चार अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन, सड़क और आवास योजनाएं शामिल हैं।
राजनीतिक मायने: 21 सीटों पर बीजेपी की नजर
पूर्वी और पश्चिमी चंपारण को मिलाकर कुल 21 विधानसभा सीटें आती हैं। 2020 के चुनाव में बीजेपी और एनडीए ने इनमें से 17 सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाए रखा था। इस बार भी बीजेपी उसी नतीजे को दोहराना चाहती है।
चंपारण बीजेपी का पारंपरिक गढ़
चंपारण बेल्ट को बीजेपी का परंपरागत गढ़ माना जाता है। 2020 के चुनावों में पूर्वी चंपारण की 12 में से 9 सीटें और पश्चिम चंपारण की 9 में से 8 सीटें एनडीए ने जीती थीं। इस बेल्ट की पकड़ बनाए रखना पार्टी के लिए बेहद जरूरी है।
मोतिहारी का रणनीतिक महत्व
मोतिहारी न केवल पूर्वी चंपारण का केंद्र है, बल्कि यह पश्चिमी चंपारण और नेपाल से सटे इलाकों को भी प्रभावित करता है। रक्सौल जैसे सीमावर्ती क्षेत्र इस इलाके को रणनीतिक रूप से अहम बनाते हैं। पीएम मोदी का इस क्षेत्र में आना केवल विकास नहीं बल्कि चुनावी गणित का भी हिस्सा है।
2025 के लिए सियासी तैयारी शुरू
हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पीएम मोदी का यह दौरा 2025 में सत्ता दोहराने की दिशा में पहला बड़ा कदम माना जा रहा है।
नीतीश कुमार की भूमिका और गठबंधन की ताकत
2020 के चुनाव में नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा थे, जिससे बीजेपी को बड़ी जीत मिली। लेकिन 2015 में जब नीतीश अलग हुए थे, तब चंपारण में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में 2025 में नीतीश की स्थिति गठबंधन के लिए अहम साबित हो सकती है।
दिग्गज नेताओं की मजबूत पकड़
पूर्वी चंपारण से राधा मोहन सिंह, और पश्चिमी चंपारण से संजय जयसवाल बीजेपी के मजबूत चेहरे हैं। दोनों लोकसभा सांसद हैं और लगातार सीटें जीतते रहे हैं। इनके नेतृत्व में चंपारण क्षेत्र बीजेपी की राजनीति की रीढ़ बना हुआ है।
विकास बनाम विपक्ष की रणनीति
प्रधानमंत्री ने अपने दौरे में केवल चुनावी बात नहीं की, बल्कि योजनाओं के माध्यम से बिहार को विकास का बड़ा संदेश दिया। उन्होंने बताया कि अब तक ₹80,000 करोड़ से अधिक की योजनाएं बिहार को दी जा चुकी हैं। यह जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश है कि विकास के लिए बीजेपी सरकार प्रतिबद्ध है।
जनसभा से बढ़ाया चुनावी तापमान
पीएम मोदी ने मोतिहारी में एक विशाल जनसभा को भी संबोधित किया, जहां उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए बताया कि किस तरह बिहार में एनडीए सरकार ने स्थिरता और विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। यह रैली ना केवल एक राजनीतिक संदेश थी, बल्कि 2025 के लिए कार्यकर्ताओं में जोश भरने का मंच भी बनी।
निष्कर्ष:
पीएम मोदी का यह दौरा केवल विकास का संकेत नहीं है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि बीजेपी ने 2025 की चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। चंपारण को मजबूत करके पार्टी बिहार में अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहती है।मोदी का ‘मिशन चंपारण’ अब केवल एक दौरा नहीं, बल्कि बिहार की 21 सीटों पर फोकस वाली चुनावी रणनीति का हिस्सा है जिसमें विकास, गठबंधन, क्षेत्रीय संतुलन और जनसंपर्क, सब कुछ शामिल है।





