महागठबंधन या एनडीए: वीआईपी Chief Mukesh Sahani के मन में क्या है?

By: Rebecca

On: Saturday, August 2, 2025 11:43 AM

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बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है और इस मोड़ पर एक अहम किरदार बनकर उभरे हैं वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के अध्यक्ष Mukesh Sahani। उन्होंने एक समय NDA का हिस्सा बनकर भाजपा के साथ कदम से कदम मिलाया, फिर अचानक विपक्ष के महागठबंधन से जुड़ गए। लेकिन अब जब 2025 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी ज़ोर पकड़ रही है, तब सवाल उठ रहा है — मुकेश सहनी किस ओर जाएंगे: महागठबंधन या फिर ND

मुकेश सहनी का राजनीतिक सफर: शुरुआत से आज तक

मुकेश सहनी एक समय बॉलीवुड के सेट डिजाइनर थे, लेकिन उन्होंने पिछड़े वर्गों खासकर निषाद समाज के लिए काम करने के उद्देश्य से राजनीति में कदम रखा। उन्होंने वीआईपी पार्टी की स्थापना की और 2020 में भाजपा-जदयू गठबंधन (NDA) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। लेकिन कुछ समय बाद मतभेद उभरने लगे, और उन्होंने महागठबंधन का रुख कर लिया।

NDA से मोहभंग और महागठबंधन की ओर बढ़ते कदम

जब भाजपा ने सहनी को उपेक्षित महसूस कराया और उनकी पार्टी के विधायकों को अपने पाले में कर लिया, तो उन्होंने NDA से दूरी बना ली। इसके बाद वे महागठबंधन के साथ दिखने लगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के साथ मंच साझा करने लगे। यही वह मोड़ था जहाँ राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलने लगे।

क्या VIP की राजनीतिक जमीन अब भी मजबूत है?

हाल के उपचुनावों में VIP को ज़्यादा सफलता नहीं मिली, जिससे ये सवाल उठता है कि पार्टी की ज़मीन कितनी मजबूत है। हालांकि, मुकेश सहनी की पकड़ खासकर निषाद, मल्लाह, और अन्य EBC समुदायों में अब भी मौजूद है। ऐसे में NDA और महागठबंधन — दोनों के लिए वे एक अहम मोहरे साबित हो सकते हैं।

सहनी की चुप्पी: रणनीति या भ्रम?

मुकेश सहनी बीते कुछ महीनों से ज्यादा खुलकर कुछ नहीं कह रहे। उन्होंने कुछ बयानों में यह जरूर कहा कि वे “जनता के हित में फैसला लेंगे”, लेकिन यह तय नहीं किया कि वे NDA में वापसी करेंगे या महागठबंधन के साथ बने रहेंगे। यह चुप्पी रणनीति का हिस्सा हो सकती है — वे शायद उस समय का इंतज़ार कर रहे हैं जब उनकी अहमियत सबसे ज्यादा हो।

महागठबंधन से निकटता: गठबंधन की मजबूती या अस्थायी समीकरण?

हाल के महीनों में सहनी की मुलाकातें RJD प्रमुख तेजस्वी यादव और JDU नेता नीतीश कुमार से हुई हैं। उनकी पार्टी ने महागठबंधन का समर्थन किया है, लेकिन VIP को सीट बंटवारे में कितनी हिस्सेदारी मिलेगी — यह अभी स्पष्ट नहीं है। यदि महागठबंधन सहनी की पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी नहीं देता, तो वे दोबारा NDA की ओर रुख कर सकते हैं।

भाजपा की रणनीति: सहनी को फिर से साथ लाना या किनारा करना?

भाजपा की ओर से अब तक सहनी के लिए कोई बड़ा प्रस्ताव नहीं आया है। 2020 में उन्होंने VIP को 11 सीटें दी थीं, लेकिन अब उनका रुख ठंडा है। सहनी की वापसी से NDA को EBC वोटों में बढ़त मिल सकती है, लेकिन भाजपा अपने पुराने अनुभवों को देखते हुए सतर्क है।

चुनाव समीकरणों में VIP की भूमिका

भले ही VIP का जनाधार सीमित हो, लेकिन बिहार में 20–25 सीटों पर उनका प्रभाव ज़रूर है। विशेषकर गंगा किनारे के क्षेत्रों में निषाद और मल्लाह समुदाय VIP के साथ जुड़ा हुआ है। यदि इन इलाकों में VIP का झुकाव किसी भी गठबंधन की ओर होता है, तो सीटों का समीकरण बदल सकता है।

जनता की प्रतिक्रिया और सहनी की छवि

मुकेश सहनी को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहा जाता है और वे अपनी जाति को सामाजिक न्याय दिलाने की छवि के साथ जनता के बीच लोकप्रिय हैं। हालांकि उनके राजनीतिक पाला बदलने की प्रवृत्ति को लेकर आलोचना भी होती रही है। फिर भी, अगर वे एक ठोस और साफ दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो जनता का भरोसा कायम रख सकते हैं।

संभावित गठबंधन: समीकरण किस ओर झुकेगा?

अगर सीटों की गणना और सम्मानजनक भूमिका की बात की जाए, तो सहनी उन्हीं के साथ जाएंगे जो उन्हें राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखने में मदद करेगा। यदि महागठबंधन में VIP को उपेक्षा मिली, तो सहनी का NDA की ओर वापसी का रास्ता खुला है। लेकिन अगर तेजस्वी यादव उन्हें एक बड़ी भूमिका देने को तैयार हो जाते हैं, तो यह समीकरण वहीं टिक सकता है।

फैसला जल्द होगा? या आखिरी वक्त पर?

बिहार की राजनीति में अक्सर अंतिम समय में फैसले होते हैं। VIP प्रमुख फिलहाल दोनों पक्षों से बातचीत कर रहे हैं और रणनीतिक रूप से अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हैं। माना जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले या 2025 विधानसभा चुनाव की घोषणा के वक्त तक वे अपने पत्ते खोलेंगे।

    निष्कर्ष:

    मुकेश सहनी भले ही आज स्पष्ट रुख न दिखा रहे हों, लेकिन उनकी राजनीतिक दिशा आने वाले चुनावों के लिए महत्वपूर्ण होगी। VIP भले ही बड़ी पार्टी न हो, लेकिन ‘किंगमेकर’ की भूमिका में ज़रूर नजर आ सकती है। महागठबंधन हो या NDA — दोनों के लिए सहनी एक ऐसे नेता हैं जिनकी वजह से कई सीटों पर फर्क पड़ सकता है।

    राजनीति में स्थायित्व से ज्यादा समीकरण मायने रखते हैं, और सहनी इस बात को बखूबी समझते हैं। अब देखना यह है कि वे किस दिशा में आगे बढ़ते हैं महागठबंधन की ओर या NDA की ओर या फिर कोई नया राजनीतिक मोड़ लेकर जनता को चौंका देते हैं।

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