भारतीय राजनीति में बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप आम बात है। लेकिन जब यह आरोप चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) की तरफ़ से आता है, तो इसका असर और गहराई से महसूस किया जाता है। हाल ही में प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति से जुड़ा एक बड़ा सवाल उठाया और राहुल गांधी को सीधे तौर पर लालू प्रसाद यादव के कथित Jungle Raj के लिए जिम्मेदार ठहराया।
जंगल राज का मतलब और पृष्ठभूमि
बिहार की राजनीति में ‘जंगल राज’ शब्द का इस्तेमाल लंबे समय से हो रहा है। 1990 से 2005 तक लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के शासन को विपक्षी दलों ने जंगल राज कहा। इस दौर में कानून-व्यवस्था, अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार पर लगातार आरोप लगे। यही वह दौर है, जिसे आज भी राजनीतिक बहसों में उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है।
प्रशांत किशोर का तर्क – राहुल गांधी की जिम्मेदारी क्यों?
प्रशांत किशोर का कहना है कि लालू यादव की राजनीति और उनके शासनकाल में कांग्रेस की भी बराबर की भूमिका रही। चूंकि कांग्रेस ने ही उस समय लालू को समर्थन दिया था और बाद में भी उनका राजनीतिक साथ बना रहा, इसलिए राहुल गांधी को आज के समय में इस ‘जंगल राज’ के लिए माफी मांगनी चाहिए।
राहुल गांधी पर सीधा हमला
PK का यह बयान सीधे राहुल गांधी पर राजनीतिक प्रहार की तरह देखा जा रहा है। वह मानते हैं कि केवल लालू यादव को जिम्मेदार ठहराना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि कांग्रेस की छत्रछाया में ही उस दौर की राजनीति पनपी थी। राहुल गांधी, कांग्रेस के चेहरे के रूप में, उस दौर की गलतियों की नैतिक जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।
बिहार की जनता के बीच असर
बिहार की जनता लालू यादव के शासन को लेकर बंटी हुई है। एक वर्ग लालू को गरीबों और पिछड़ों की आवाज़ मानता है, जबकि दूसरा वर्ग उन्हें अपराध और भ्रष्टाचार का प्रतीक मानता है। PK का बयान उसी बहस को और गर्म करता है। राहुल गांधी से माफी मांगने की बात करके उन्होंने जनता के सामने कांग्रेस की भूमिका पर भी सवाल उठा दिया।
प्रशांत किशोर की राजनीतिक रणनीति
प्रशांत किशोर अब सिर्फ चुनावी रणनीतिकार नहीं, बल्कि खुद को एक बड़े राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में पेश कर रहे हैं। बिहार में जनसुराज अभियान चलाकर वे लगातार जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में लालू और राहुल पर सवाल उठाकर उन्होंने न केवल कांग्रेस बल्कि राजद (RJD) को भी असहज स्थिति में ला दिया है।
कांग्रेस और राजद का संबंध
इतिहास गवाह है कि कांग्रेस और राजद का रिश्ता उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कभी ये दोनों एक-दूसरे के सहयोगी रहे, तो कभी कट्टर विरोधी। लेकिन प्रशांत किशोर का आरोप यह साफ करता है कि उन्होंने इन दोनों दलों को एक ही तराजू पर तौलने की कोशिश की है। इससे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
माफी मांगने की राजनीति
भारतीय राजनीति में माफी मांगने का ट्रेंड नया नहीं है। कई बार नेताओं से पुराने फैसलों और घटनाओं के लिए माफी की मांग उठाई जाती है। लेकिन PK का तर्क यह है कि अगर कांग्रेस सचमुच गरीबों, पिछड़ों और न्याय की राजनीति करना चाहती है, तो उसे अतीत की गलतियों को स्वीकार करना होगा। यही कारण है कि उन्होंने राहुल गांधी को माफी मांगने की सलाह दी।
बिहार की मौजूदा राजनीति पर असर
आज बिहार की राजनीति नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और भाजपा के इर्द-गिर्द घूम रही है। लेकिन PK का बयान इस बात की याद दिलाता है कि कांग्रेस अब भी बैकफुट पर है। अगर राहुल गांधी इस तरह के सवालों का सीधा जवाब नहीं देते, तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हो सकती है।
क्या यह प्रशांत किशोर की चुनावी चाल है?
कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि PK का यह बयान सिर्फ एक रणनीतिक चाल है। वे कांग्रेस और राजद दोनों को कमजोर कर, बिहार में एक तीसरी ताकत बनने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी से माफी की मांग शायद उसी बड़े राजनीतिक गेमप्लान का हिस्सा हो।
जनता की नज़र में राहुल और PK
अंततः सवाल यह है कि जनता इस बयान को कैसे देखती है। क्या लोग सचमुच राहुल गांधी को लालू के जंगल राज के लिए जिम्मेदार मानेंगे? या फिर इसे महज़ एक राजनीतिक स्टंट समझेंगे? यह तो आने वाले चुनाव ही बताएंगे। लेकिन इतना तय है कि प्रशांत किशोर ने एक बार फिर राजनीति की ज़मीन पर गर्माहट ला दी है।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर का यह बयान न केवल राहुल गांधी बल्कि पूरे कांग्रेस संगठन के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। लालू यादव के जंगल राज की याद दिलाकर उन्होंने पुरानी चोट को ताज़ा कर दिया है। सवाल सिर्फ इतना है कि क्या राहुल गांधी वास्तव में माफी मांगेंगे या इसे नज़रअंदाज़ करके आगे बढ़ेंगे। जो भी हो, इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति को फिर से चर्चा के केंद्र में ला दिया है।