Vice President Election: चुनाव आयोग ने शुरू की उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी, कहा- जल्द घोषित होगा कार्यक्रम

By: Rebecca

On: Wednesday, July 23, 2025 11:33 AM

President Election: चुनाव आयोग ने शुरू की उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी,
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भारत में संवैधानिक President पदों का चुनाव हमेशा एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया होती है। हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने तत्काल एक्शन लेते हुए उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। आइए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम को 10 प्रमुख बिंदुओं के जरिए विस्तार से।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: क्या हुआ अचानक?

24 जुलाई 2025 को देश को यह खबर मिली कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह फैसला एकाएक आया और सोमवार को उनका इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा गया। अगले ही दिन, यानि मंगलवार को राष्ट्रपति ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया। धनखड़ का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ था, इसलिए उनका इस्तीफा राजनीतिक और संवैधानिक हलकों में चर्चा का विषय बना रहा।

चुनाव आयोग आया एक्शन मोड में

जैसे ही इस्तीफा मंजूर हुआ, भारत निर्वाचन आयोग ने त्वरित रूप से उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की तैयारी शुरू कर दी। चुनाव आयोग ने 23 जुलाई 2025 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि “चुनाव कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही की जाएगी, जैसे ही जरूरी तैयारियां पूरी हो जाती हैं। इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि आयोग इस बार समय गंवाए बिना प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना चाहता है।

गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

चुनाव आयोग की विज्ञप्ति में बताया गया कि गृह मंत्रालय ने 22 जुलाई 2025 को एक अधिसूचना जारी करके धनखड़ के इस्तीफे की सूचना दी थी। यह अधिसूचना संवैधानिक रूप से जरूरी थी, क्योंकि इससे उपराष्ट्रपति पद औपचारिक रूप से रिक्त घोषित किया गया। यह अधिसूचना चुनाव आयोग को चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकारिक आधार देती है।

अनुच्छेद 324 और कानूनी प्रक्रियाएं

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत उपराष्ट्रपति का चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है। यह चुनाव “राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम 1952” और “राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति चुनाव नियम 1974” के अनुसार कराया जाता है। इन नियमों के तहत ही आयोग चुनाव कार्यक्रम, नामांकन, मतदान और परिणाम की घोषणा करता है।

निर्वाचक मंडल की तैयारी

उपराष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचक मंडल का विशेष महत्व होता है। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। आयोग ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। सदस्य सूचियों को अपडेट किया जा रहा है ताकि वोटिंग के दिन सभी योग्य सदस्य मतदान कर सकें। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम मानी जाती है।

रिटर्निंग ऑफिसर और सहायक की नियुक्ति

चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। ये अधिकारी नामांकन की जांच, वैधता की पुष्टि, मतदान प्रक्रिया और मतगणना का संचालन करते हैं। इनकी भूमिका चुनाव प्रक्रिया की रीढ़ मानी जाती है और यह सुनिश्चित करती है कि पूरा चुनाव संविधान के दायरे में रहकर निष्पक्ष रूप से संपन्न हो।

पिछले चुनावों के रिकॉर्ड की समीक्षा

चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि वह पूर्व उपराष्ट्रपति चुनावों के रिकॉर्ड और जानकारियों की समीक्षा कर रहा है। इसका उद्देश्य है कि इस बार की प्रक्रिया में कोई तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी त्रुटि न हो। इस तरह की समीक्षा से आयोग को पहले की गलतियों से सीखने और बेहतर ढंग से चुनाव आयोजन करने में मदद मिलती है।

चुनाव कार्यक्रम की जल्द घोषणा की तैयारी

चूंकि तैयारियों की प्रक्रिया तेजी से चल रही है, इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही कर दी जाएगी। इसमें नामांकन की तारीख, स्क्रूटिनी, नाम वापसी की तारीख, मतदान और मतगणना की तारीखें शामिल होंगी माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में भारत को नया उपराष्ट्रपति चुनने की दिशा में ठोस कदम देखने को मिलेंगे।

राजनीतिक हलचल और संभावित उम्मीदवार

धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में संभावित उम्मीदवारों के नामों की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने पक्ष से संभावित नामों पर मंथन कर रहे हैं। चूंकि उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद सदस्यों द्वारा किया जाता है, इसलिए इसमें संख्या बल का बड़ा महत्व होता है। अभी तक किसी भी पार्टी ने आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, लेकिन जल्द ही तस्वीर साफ होने की उम्मीद है।

जनता की नज़रें: लोकतंत्र की उम्मीद

उपराष्ट्रपति का पद देश की राज्यसभा के सभापति के रूप में बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह संवैधानिक पद संसद के संचालन, विधायी प्रक्रियाओं और राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी के रूप में भी महत्व रखता है। जनता इस बार उम्मीद कर रही है कि एक योग्य, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाला व्यक्ति इस पद पर आसीन होगा।

निष्कर्ष:

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के साथ ही भारत ने एक नई राजनीतिक प्रक्रिया की ओर कदम बढ़ा लिया है। चुनाव आयोग की तत्परता और तैयारी दर्शाती है कि संवैधानिक संस्थाएं अपने कर्तव्यों के प्रति सजग हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता, मजबूती और प्रक्रिया आधारित प्रणाली को दर्शाएगा। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि कौन होगा भारत का अगला उपराष्ट्रपति – और यह जवाब जल्द ही देश के सामने होगा।

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