Bihar Election: में विधानसभा चुनावों की सरगर्मी अब चरम पर पहुंच चुकी है। आज पहले चरण के नामांकन का आखिरी दिन है और सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी सीटों से फॉर्म दाखिल करने में जुटे हुए हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चरण में कुल 94 सीटों पर मतदान होना है और इसके लिए नामांकन प्रक्रिया बीते सप्ताह शुरू हुई थी। अब जब आखिरी दिन आ गया है, तो राजनीतिक दलों के दफ्तरों में गहमागहमी चरम पर है।
पहले चरण में किन क्षेत्रों में होगा मतदान
पहला चरण मुख्यतः बिहार के दक्षिण और मध्य हिस्सों को कवर करेगा — जिनमें गया, नवादा, औरंगाबाद, सासाराम, कैमूर, जमुई, और जहानाबाद जैसे जिले शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे हमेशा से चुनावी परिणामों में अहम भूमिका निभाते आए हैं। इसलिए इस चरण को “टोन सेट करने वाला चरण” माना जा रहा है।
नामांकन प्रक्रिया का अंतिम दिन — प्रत्याशियों की भीड़
सुबह से ही जिला निर्वाचन कार्यालयों के बाहर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। कई दिग्गज नेता खुद नामांकन दाखिल करने पहुंचे। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि किसी तरह की अराजकता न फैले। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि समय सीमा के बाद कोई नामांकन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
महागठबंधन की स्थिति — रणनीति और सीट बंटवारा
महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, और वाम दलों का गठजोड़) ने पहले चरण के लिए अपने ज्यादातर प्रत्याशियों की सूची पहले ही जारी कर दी थी।RJD को सबसे अधिक सीटें मिली हैं, कांग्रेस को सीमित संख्या में, वहीं वाम दलों को कुछ रणनीतिक सीटें दी गई हैं। तेजस्वी यादव इस बार अपनी रैलियों में बेरोजगारी और महंगाई को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेतृत्व भी युवा वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश में है।
NDA में तालमेल और अंदरूनी खींचतान
NDA गठबंधन (जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी (रामविलास), HAM और अन्य दलों) के बीच सीट बंटवारे पर सहमति तो बनी है, लेकिन अंदरूनी असंतोष भी खुलकर सामने आया है। कुछ सीटों पर कार्यकर्ताओं ने टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी जताई है।
नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि “हम एकजुट हैं, विरोधी भ्रम फैला रहे हैं।” लेकिन जमीनी स्तर पर समीकरण उतने सरल नहीं दिख रहे।
तेजस्वी यादव का आक्रामक रुख
इस चुनाव में तेजस्वी यादव ने खुद को एक युवा और आक्रामक नेता के रूप में पेश किया है। उनके भाषणों में बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाए जा रहे हैं। वे लगातार नीतीश सरकार पर हमला बोल रहे हैं और कह रहे हैं कि “अब बदलाव का वक्त आ गया है।” महागठबंधन की चुनावी रैलियों में उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ती दिख रही है।
नीतीश कुमार की विकास बनाम जाति राजनीति की रणनीति
नीतीश कुमार, जो बिहार की राजनीति में लंबे समय से स्थिर चेहरा रहे हैं, इस बार फिर “विकास” के एजेंडे को लेकर मैदान में हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों — सड़क, बिजली, शिक्षा सुधार — को जनता के सामने रखा है। लेकिन विपक्ष लगातार उन पर “थक चुकी सरकार” चलाने का आरोप लगा रहा है। जेडीयू की कोशिश है कि विकास की राजनीति के दम पर जातीय समीकरणों को बैकफुट पर रखा जाए।
पहले चरण में किसके लिए चुनौती ज्यादा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहला चरण महागठबंधन के लिए “लिटमस टेस्ट” साबित हो सकता है। RJD के गढ़ रहे कुछ इलाके अब NDA के प्रभाव में हैं, वहीं कुछ पारंपरिक NDA सीटों पर इस बार टक्कर कड़ी मानी जा रही है। इसलिए दोनों गठबंधन इस चरण में अपने सबसे मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतार चुके हैं।
महिलाओं और युवाओं की भूमिका
बिहार की राजनीति में अब महिलाएं और युवा निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। पिछले चुनावों में महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही थी। इस बार भी सरकार के “साइकिल योजना”, “कन्या उत्थान” और “स्वयं सहायता समूह” जैसी योजनाओं का असर देखने को मिल सकता है। वहीं युवाओं के लिए नौकरी और बेहतर शिक्षा की मांग प्रमुख चुनावी मुद्दा है, जिसे हर पार्टी अपने हिसाब से भुना रही है।
सोशल मीडिया बना चुनावी मैदान
- 2025 का बिहार चुनाव सोशल मीडिया की ताकत का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभर रहा है।
- ट्विटर और फेसबुक पर पार्टी वार ट्रेंड चल रहे हैं।
- टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर युवाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है।
- बीजेपी और RJD दोनों ने डिजिटल कैंपेन टीम को मजबूत किया है।
- राजनीतिक संदेश अब गांव-गांव तक मोबाइल के ज़रिए पहुंच रहे हैं, जिससे चुनाव प्रचार का तरीका पूरी तरह बदल गया है।
आगे क्या? – दूसरे चरण की तैयारी और प्रत्याशियों की लिस्ट
पहले चरण के नामांकन खत्म होते ही अब निगाहें दूसरे चरण पर टिक जाएंगी। चुनाव आयोग जल्द ही नामांकन की जांच और वैध उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी करेगा। महागठबंधन और NDA दोनों ही अब प्रचार अभियान को और तेज करने की तैयारी में हैं। रैलियों, रोड शो और जनसभाओं के ज़रिए अगले चरणों में जनता तक पहुंचने की कोशिशें जारी रहेंगी।
निष्कर्ष: मुकाबला कांटे का, वोटर बने किंगमेकर
पहले चरण का माहौल देखकर इतना तो साफ है कि बिहार चुनाव 2025 इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है। महागठबंधन और NDA दोनों ही जीत को लेकर आत्मविश्वास जता रहे हैं, लेकिन असली फैसला जनता के हाथ में है। बेरोजगारी, विकास, महंगाई और नेतृत्व जैसे मुद्दे इस बार की दिशा तय करेंगे। अब देखना यह है कि 2025 के इस चुनावी रण में जनता किस पर भरोसा जताती है — अनुभवी नीतीश पर या युवा तेजस्वी पर?





