बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहे हैं, पुराने घोटालों की फाइलें फिर से खुलने लगी हैं। इस बार केंद्र में हैं राजद (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार।
दिल्ली की एक विशेष अदालत ने IRCTC घोटाले से जुड़े मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती सहित कई अन्य पर आरोप तय कर दिए हैं। यह फैसला ऐसे समय आया है जब बिहार में राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म है।
क्या है IRCTC घोटाला?
IRCTC घोटाला (Indian Railway Catering and Tourism Corporation Scam) वर्ष 2004 से 2009 के बीच उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे।आरोप यह है कि उस दौरान रेलवे के दो होटल — रांची और पुरी स्थित — को प्राइवेट कंपनियों को आउटसोर्स करने के बदले लालू यादव और उनके परिवार को जमीन और अन्य संपत्तियाँ रिश्वत के तौर पर दी गईं। CBI के अनुसार, यह एक quid-pro-quo (लेन-देन आधारित) सौदा था — यानी सरकारी ठेका के बदले निजी लाभ।
मामले में कौन-कौन हैं आरोपी?
इस मामले में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती, और कुछ अन्य निजी कंपनियों के अधिकारी आरोपी बनाए गए हैं। CBI ने इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। अब अदालत ने इन सभी के खिलाफ औपचारिक आरोप तय कर दिए हैं, यानी अब मुकदमे की सुनवाई शुरू होगी।
अदालत का ताजा फैसला क्या कहता है?
दिल्ली की विशेष CBI अदालत ने हाल ही में कहा कि, “प्राथमिक साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि आरोपियों ने सरकारी पद का दुरुपयोग कर निजी लाभ कमाया। इसके बाद अदालत ने सभी आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) और आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy) के तहत आरोप तय किए। यह फैसला बिहार चुनाव से ठीक पहले आया है, जिससे राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ गई है।
लालू परिवार की प्रतिक्रिया
लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया है। राबड़ी देवी ने कहा कि, “हर चुनाव से पहले हमें टारगेट किया जाता है ताकि जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाया जा सके।”मीसा भारती ने भी कहा कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध (political vendetta) का हिस्सा है और उनके परिवार को झूठे मामलों में फँसाया जा रहा है।
CBI की दलीलें
CBI का कहना है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए निजी कंपनियों को रेलवे होटल प्रबंधन का ठेका देने में अनियमितताएँ कीं। इसके बदले में उन कंपनियों ने राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर रजिस्टर की गई कंपनियों को जमीनें और संपत्ति दीं। CBI का दावा है कि यह रिश्वत का एक “छिपा हुआ रूप” था और इसमें सरकारी पद का दुरुपयोग हुआ है CBI ने अदालत को कई डॉक्यूमेंटरी सबूत, बैंक रिकॉर्ड और संपत्ति हस्तांतरण के प्रमाण प्रस्तुत किए हैं।
राजनीतिक असर और विपक्ष की रणनीति
बिहार चुनाव के पहले यह मामला राजनीतिक हथियार बन गया है। भाजपा और जदयू नेताओं ने इसे “भ्रष्टाचार का ताजा सबूत” बताते हुए राजद पर तीखा हमला बोला है। वहीं, राजद ने कहा है कि यह “लोकतांत्रिक ताकतों को कमजोर करने की कोशिश” है। विश्लेषकों का मानना है कि इस मुकदमे का असर राजनीतिक नैरेटिव पर जरूर पड़ेगा, खासकर जब लालू परिवार बिहार की राजनीति का केंद्र बिंदु बना हुआ है।
लालू यादव का राजनीतिक इतिहास और चुनौतियाँ
लालू प्रसाद यादव का नाम बिहार की राजनीति में करिश्माई और विवादास्पद दोनों रूपों में लिया जाता है। 1990 के दशक में उन्होंने सामाजिक न्याय की राजनीति को नई दिशा दी, लेकिन 2000 के दशक में घोटालों ने उनकी छवि को काफी नुकसान पहुँचाया। इससे पहले भी वे चारा घोटाले (Fodder Scam) में सजा काट चुके हैं। अब IRCTC घोटाले का मामला उनकी राजनीतिक पुनर्वापसी (political comeback) के रास्ते में नई चुनौती बनकर उभरा है।
क्या इसका असर बिहार चुनाव पर पड़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस केस का सीधा असर वोटिंग पैटर्न पर नहीं, लेकिन जनता की धारणा पर जरूर पड़ेगा। RJD समर्थक इसे “अन्याय” के रूप में देख सकते हैं, जबकि विपक्षी दल इसे “भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई” बताएंगे। इससे राजनीतिक ध्रुवीकरण (polarization) और बढ़ सकता है, जो चुनावी रणनीतियों को प्रभावित करेगा। हालांकि, लालू यादव के करिश्मे और RJD की जमीनी पकड़ को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
न्यायिक प्रक्रिया का आगे का रास्ता
अब जब आरोप तय हो चुके हैं, तो आने वाले महीनों में इस मामले की नियमित सुनवाई शुरू होगी। CBI को अपने साक्ष्य अदालत में पेश करने होंगे और बचाव पक्ष को अपनी दलीलें देनी होंगी। यदि अदालत दोष साबित करती है, तो लालू यादव और उनके परिवार को कठोर सजा का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यदि आरोप साबित नहीं होते, तो यह लालू परिवार के लिए बड़ी राजनीतिक राहत होगी।
जनता और मीडिया की भूमिका
इस मामले ने एक बार फिर मीडिया ट्रायल और जनता की राय को केंद्र में ला दिया है। सोशल मीडिया पर लोग दो खेमों में बंटे हुए हैं — एक ओर वे लोग जो इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बता रहे हैं, और दूसरी ओर वे जो “कानून के राज” की बात कर रहे हैं। मीडिया कवरेज ने इस केस को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है, जिससे यह केवल बिहार की राजनीति तक सीमित नहीं रह गया।
निष्कर्ष: चुनावी मौसम में न्यायिक फैसला या राजनीतिक मोहरा?
बिहार चुनाव से ठीक पहले IRCTC घोटाले में लालू परिवार पर आरोप तय होना निश्चित रूप से एक बड़ा राजनीतिक मोड़ है। यह मामला सिर्फ अदालत की चारदीवारी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर चुनावी भाषणों, वोटर की सोच और गठबंधनों की रणनीति पर भी दिखेगा लालू यादव और उनका परिवार भले ही इसको “राजनीतिक साजिश” कह रहे हों, लेकिन यह भी सच है कि हर चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के पुराने मामले सुर्खियों में आ जाते हैं।





