बिहार Election में 2025 के विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब तेज़ होती जा रही है। पहले चरण के मतदान के बाद अब सभी की नज़र दूसरे चरण पर टिक गई है। आज से राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज़ हो गई है क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने औरंगाबाद और वाल्मीकिनगर में ज़ोरदार रैलियों के ज़रिए माहौल गरमा दिया है।
दूसरे चरण की तैयारियां तेज़, सियासी दलों में बढ़ी हलचल
बिहार चुनाव के दूसरे चरण में करीब 90 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। इस चरण में कई वीआईपी सीटें शामिल हैं जहाँ मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है। चुनाव आयोग ने सभी जिलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और प्रशासन मतदाताओं को अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का बिहार दौरा
कांग्रेस के दोनों स्टार प्रचारक — राहुल गांधी और प्रियंका गांधी — ने आज बिहार के औरंगाबाद और वाल्मीकिनगर में रैलियों का आयोजन किया। दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता से संवाद स्थापित किया और भाजपा-जेडीयू सरकार पर तीखे हमले किए। राहुल गांधी ने कहा कि “बिहार में अब बदलाव की हवा है और जनता सच्चे विकास की उम्मीद कर रही है।”
प्रियंका गांधी का जनसंपर्क अभियान महिलाओं पर केंद्रित
प्रियंका गांधी की इस बार की चुनावी रणनीति में महिलाओं और युवाओं पर खास ध्यान दिया गया है। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “बिहार की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन उन्हें शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार के अधिक अवसर मिलने चाहिए।” उन्होंने महंगाई और बेरोज़गारी को लेकर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा।
राहुल गांधी का हमला—‘बेरोजगारी और महंगाई सबसे बड़ी समस्या’
राहुल गांधी ने अपने भाषण में बेरोज़गारी, महंगाई और किसान मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि “देश की युवा शक्ति को रोजगार नहीं मिल रहा और किसान अपनी फसलों का सही दाम पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।” उन्होंने बिहार के युवाओं से अपील की कि वे इस बार “विकास और समानता” के लिए वोट करें।
वाल्मीकिनगर की रैली बनी चर्चा का विषय
वाल्मीकिनगर में प्रियंका गांधी की रैली में भारी भीड़ उमड़ी। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह भीड़ कांग्रेस के लिए सकारात्मक संकेत है। प्रियंका ने अपने भाषण में बिहार के सीमांचल इलाकों में विकास की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि “यह इलाका दशकों से उपेक्षित रहा है, अब इसे नई दिशा देने का समय आ गया है।”
एनडीए और विपक्ष के बीच सीधा मुकाबला
बिहार के दूसरे चरण में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच देखने को मिल रहा है। भाजपा और जेडीयू ने भी अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है। वहीं कांग्रेस, राजद और वाम दलों का गठबंधन भी पूरी ताकत से प्रचार में जुटा है। यह चरण यह तय करेगा कि जनता किसे राज्य की कमान सौंपना चाहती है।
युवा वोटरों पर सभी दलों की नज़र
2025 के चुनाव में लगभग 1.5 करोड़ नए मतदाता शामिल हुए हैं जिनमें बड़ी संख्या युवा वर्ग की है। यही वजह है कि हर पार्टी अपने घोषणापत्र में रोजगार, शिक्षा और डिजिटल अवसरों को प्रमुखता दे रही है। कांग्रेस ने ‘युवा सम्मान योजना’ जैसी घोषणाएं की हैं, जबकि एनडीए ने ‘रोज़गार मिशन’ और ‘स्टार्टअप बिहार’ जैसे वादे किए हैं।
सोशल मीडिया पर चल रहा डिजिटल प्रचार युद्ध
इस बार का चुनाव सिर्फ मैदान में नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी लड़ा जा रहा है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के भाषणों के वीडियो ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहे हैं। वहीं भाजपा और जेडीयू भी अपने डिजिटल प्रचार तंत्र के ज़रिए विरोधियों पर पलटवार कर रहे हैं। फेसबुक लाइव रैलियां और डिजिटल डिबेट इस चुनाव को और रोचक बना रहे हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की सख्ती
दूसरे चरण के मतदान से पहले प्रशासन ने सभी जिलों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे मतदान प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बनाएं।
जनता की उम्मीदें और चुनावी माहौल
बिहार के मतदाताओं के बीच अब चर्चा इस बात की है कि क्या इस बार राज्य में बदलाव होगा या सत्ता फिर से एनडीए के पास जाएगी। गांवों और कस्बों में चाय की दुकानों से लेकर चौपालों तक सिर्फ एक ही बात चल रही है — “कौन बनाएगा बिहार का भविष्य?” जनता अब मुद्दों पर बात कर रही है—रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और महंगाई—और यही इस बार का असली चुनावी एजेंडा बन गया है।
निष्कर्ष: जनता के बीच बढ़ती दिलचस्पी और कांग्रेस की नई रणनीत
बिहार चुनाव 2025 का दूसरा चरण पूरी तरह रोमांचक मोड़ पर पहुँच गया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रैलियों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है। वहीं विपक्ष और सत्ताधारी दल दोनों ही जनता को अपने-अपने विकास मॉडल के ज़रिए लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।अब देखना यह होगा कि बिहार की जनता किसे अपना नेता चुनती है — पुराने वादों को या नए विज़न को।





