बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का राजनीतिक माहौल अब तेजी से गर्माने लगा है। राज्य की सभी बड़ी पार्टियां अपने-अपने घोषणापत्र तैयार करने में जुटी हैं, वहीं विपक्षी दलों का गठबंधन यानी Mahagathbandhan (Grand Alliance) 28 अक्टूबर को अपना संयुक्त घोषणापत्र (Common Manifesto) जारी कर सकता है। यह घोषणापत्र न केवल चुनावी वादों का दस्तावेज़ होगा, बल्कि बिहार की दिशा और दशा तय करने वाला रोडमैप भी माना जा रहा है।
रोजगार सृजन पर होगा मुख्य फोकस
महागठबंधन लंबे समय से राज्य में बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर रहा है। माना जा रहा है कि घोषणापत्र में नौजवानों के लिए 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा दोहराया जा सकता है। इसके साथ ही निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने और औद्योगिक क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर विशेष जोर होगा।
शिक्षा प्रणाली में सुधार का वादा
बिहार की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय से आलोचना का विषय रही है। महागठबंधन अपने घोषणापत्र में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, शिक्षकों की भर्ती में पारदर्शिता लाने और उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं को बढ़ाने का वादा कर सकता है।
साथ ही, ग्रामीण इलाकों में “डिजिटल क्लासरूम” योजना शुरू करने की भी संभावना है।
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
कोविड-19 के बाद बिहार में स्वास्थ्य ढांचे की कमजोरी उजागर हुई थी। इसलिए, इस बार स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाएगी। घोषणापत्र में सभी जिलों में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, मुफ्त दवा योजना और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुधार जैसे वादे शामिल हो सकते है महागठबंधन ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल हेल्थ यूनिट और टेलीमेडिसिन सेवाएं भी बढ़ाने की बात कह सकता है।
किसानों के लिए राहत पैकेज
किसान वर्ग को ध्यान में रखते हुए, गठबंधन अपने घोषणापत्र में कृषि ऋण माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर प्रभावी क्रियान्वयन और सिंचाई सुविधाओं को सुदृढ़ करने जैसे वादे कर सकता है।
इसके अलावा, हर जिले में कृषि तकनीकी केंद्र (Agri Tech Hub) स्थापित करने की योजना भी शामिल की जा सकती है।
महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण
महागठबंधन हमेशा से महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर देता रहा है। इसलिए, घोषणापत्र में महिला आरक्षण, महिला उद्यमिता योजनाएं और “सुरक्षित बिहार मिशन” जैसी नई पहलें देखने को मिल सकती हैं। इसके अंतर्गत महिला पुलिस बल को बढ़ावा देने और कार्यस्थलों पर सुरक्षा उपायों को सख्त बनाने के प्रस्ताव हो सकते हैं।
बिजली, सड़क और पानी पर विशेष ध्यान
बुनियादी ढांचे का विकास किसी भी सरकार के लिए अहम मुद्दा होता है। महागठबंधन हर घर तक 24 घंटे बिजली, बेहतर सड़क कनेक्टिविटी और स्वच्छ पेयजल सुविधा का वादा कर सकता है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए “स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट” का रोडमैप भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट मिशन
बिहार के युवा प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए सही प्रशिक्षण की कमी रहती है। इस बार घोषणापत्र में स्किल डेवलपमेंट सेंटर, डिजिटल ट्रेनिंग प्रोग्राम और इंटरनशिप स्कीम जैसी योजनाओं का जिक्र संभव है। यह पहल युवा वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम कदम हो सकती है।
भ्रष्टाचार पर सख्त रुख
जनता में पारदर्शिता और सुशासन की मांग लगातार बढ़ रही है। महागठबंधन अपने घोषणापत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की घोषणा कर सकता है। इसके तहत सरकारी योजनाओं की निगरानी के लिए स्वतंत्र जन आयोग बनाने और ऑनलाइन शिकायत पोर्टल को सशक्त करने की बात हो सकती है।
सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों का सशक्तिकरण
महागठबंधन का पारंपरिक वोट बैंक सामाजिक न्याय से जुड़ा रहा है। घोषणापत्र में ओबीसी, एससी-एसटी और अल्पसंख्यक वर्गों के लिए विशेष योजनाओं का वादा किया जा सकता है। यहां तक कि शैक्षिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण बढ़ाने या नई छात्रवृत्ति योजनाओं का भी ऐलान संभव है।
महंगाई और जनकल्याण योजनाएं
महंगाई को नियंत्रित करने और गरीब वर्ग को राहत देने के लिए, महागठबंधन “सस्ता राशन योजना”, “महिला गैस सब्सिडी स्कीम” और “मुफ्त बिजली यूनिट योजना” जैसी घोषणाएं कर सकता है। इसके साथ ही बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी का वादा भी संभावित है।
घोषणापत्र जारी होने की संभावित तारीख और माहौल
सूत्रों के मुताबिक, 28 अक्टूबर को पटना में एक बड़े कार्यक्रम के दौरान महागठबंधन का संयुक्त घोषणापत्र जारी किया जाएगा। इसमें प्रमुख नेता — तेजस्वी यादव (RJD), अखिलेश सिंह (Congress), उपेंद्र कुशवाहा (RLSP) और अन्य सहयोगी दलों के नेता शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जा सकता है ताकि घोषणापत्र को “जनता का दस्तावेज़” के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
निष्कर्ष: क्या महागठबंधन बदल पाएगा बिहार की तस्वीर?
बिहार की राजनीति में घोषणापत्र सिर्फ वादों का नहीं, बल्कि दृष्टिकोण का प्रतीक होता है। महागठबंधन का यह संयुक्त घोषणापत्र युवाओं, किसानों, महिलाओं और मजदूरों के लिए नई उम्मीदें लेकर आ सकता है। हालांकि, जनता यह देखना चाहेगी कि इन वादों में कितना दम है और पिछले चुनावों की तरह यह केवल कागज़ी वादा बनकर न रह जाए। अब सबकी निगाहें 28 अक्टूबर पर टिकी हैं, जब यह स्पष्ट होगा कि महागठबंधन बिहार के लिए कैसा भविष्य पेश करता है।





