Prashant Kishor का बड़ा ऐलान: चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन 150 सीटें जीतने का टारगेट

By: Rebecca

On: Thursday, October 16, 2025 4:30 AM

Prashant Kishor का बड़ा ऐलान
Follow Us

राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने एक बार फिर अपने बयान से सियासी हलचल मचा दी है। बिहार में जन सुराज यात्रा के माध्यम से जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने वाले किशोर ने साफ कहा है कि वे 2025 के विधानसभा चुनाव में खुद उम्मीदवार के रूप में चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन उनका टारगेट 150 सीटें जीतने का है।
यह बयान बिहार की राजनीति में नया मोड़ लेकर आया है और उनके अगले कदम को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।

प्रशांत किशोर ने क्यों कहा ‘चुनाव नहीं लड़ूंगा’?

प्रशांत किशोर ने अपने हालिया संबोधन में कहा कि उनका मकसद किसी कुर्सी पर बैठना नहीं है, बल्कि एक “सिस्टम में सुधार” लाना है उन्होंने साफ किया कि वह नेता बनने नहीं, बदलाव लाने आए हैं। उनका फोकस पार्टी संगठन को मजबूत करने और बिहार में नई राजनीतिक सोच पैदा करने पर है, न कि व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर।

जन सुराज आंदोलन बना उनकी असली ताकत

‘जन सुराज यात्रा’ के माध्यम से प्रशांत किशोर पिछले दो सालों से गांव-गांव जाकर जनता से संवाद कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लोगों से सीधा जुड़ाव बनाया है। जन सुराज अब केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। यही आंदोलन उनके 150 सीटों के लक्ष्य का आधार भी बन रहा है।

150 सीटों का लक्ष्य — कितना यथार्थवादी है?

बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से 150 सीटें जीतने का लक्ष्य बहुत बड़ा है। हालांकि, प्रशांत किशोर की रणनीतिक सोच और ग्राउंड कनेक्ट को देखते हुए इसे पूरी तरह असंभव भी नहीं कहा जा सकता। उनका कहना है कि अगर जनता बदलाव चाहती है, तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। यह बयान जनता को एक मिशन की तरह प्रेरित करने के लिए भी दिया गया है।

राजनीतिक पार्टियों पर सीधा हमला

प्रशांत किशोर ने अपने भाषणों में बार-बार कहा है कि बिहार की मौजूदा राजनीति जाति और सत्ता के लालच में फंसी हुई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान पार्टियां जनता की असल समस्याओं से दूर हो चुकी हैं। उनका मानना है कि अब वक्त है एक ऐसी राजनीतिक सोच का, जो लोगों के जीवन स्तर में सुधार पर ध्यान दे। यह सीधा संकेत है कि उनका निशाना RJD, JDU और BJP जैसी प्रमुख पार्टियों पर है।

‘नेता नहीं, नीति चाहिए’ – PK का नया नारा

प्रशांत किशोर ने अपने भाषणों में कहा, “बिहार को अब नेता नहीं, नीति चाहिए।” यह वाक्य उनके राजनीतिक दर्शन को स्पष्ट करता है। उनकी रणनीति सत्ता प्राप्ति नहीं बल्कि प्रणाली सुधार (System Change) पर केंद्रित है। वह मानते हैं कि जब तक नीति नहीं बदलेगी, तब तक बिहार की स्थिति नहीं सुधरेगी।

जनता की भागीदारी पर जोर

PK का मानना है कि कोई भी आंदोलन तभी सफल होता है जब जनता उसमें सक्रिय रूप से जुड़ती है। उन्होंने कहा कि 150 सीटों का लक्ष्य केवल जन सुराज टीम का नहीं बल्कि हर उस नागरिक का है जो बदलाव चाहता है। उनकी अपील है कि लोग केवल वोटर बनकर नहीं, बल्कि परिवर्तन के सहभागी बनें।

रिटायरमेंट से लेकर रणनीति तक – PK का सफर

प्रशांत किशोर ने अपने करियर की शुरुआत एक चुनावी रणनीतिकार (Political Strategist) के रूप में की थी। उन्होंने नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और राहुल गांधी जैसी बड़ी हस्तियों के लिए चुनावी अभियान चलाए। लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि अब वे दूसरों की रणनीति नहीं बनाएंगे, बल्कि खुद एक नई राजनीतिक संस्कृति शुरू करेंगे। जन सुराज इसी सोच का परिणाम है।

क्या प्रशांत किशोर नई पार्टी बनाएंगे?

हालांकि PK ने अब तक आधिकारिक तौर पर किसी पार्टी का ऐलान नहीं किया है, लेकिन उनका संगठनात्मक ढांचा एक राजनीतिक दल का संकेत देता है। जन सुराज में जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक कमेटियां बनाई जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 चुनाव से पहले जन सुराज एक राजनीतिक दल के रूप में सामने आ सकता है, जो तीसरा विकल्प बनेगा।

विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों पर निगाहें

PK का यह ऐलान केवल जनता के लिए नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए राजनीतिक चुनौती है। RJD और JDU जहां पारंपरिक वोट बैंक पर निर्भर हैं, वहीं PK युवा और शिक्षित मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका फोकस मुद्दों पर आधारित राजनीति को आगे बढ़ाने का है, जिससे नए वोटर्स का भरोसा जीता जा सके।

बिहार में नई राजनीति की उम्मीद

प्रशांत किशोर का यह बयान कि “मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन 150 सीटें जीतूंगा” वास्तव में एक प्रतीकात्मक संदेश है कि राजनीति केवल कुर्सी पाने का साधन नहीं, बल्कि समाज में बदलाव का माध्यम हो सकती है। उनकी सोच और रणनीति बिहार की राजनीति को नई दिशा देने की क्षमता रखती है। अगर जनता ने उनका साथ दिया, तो आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जा सकता है।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर का यह बड़ा ऐलान केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक विचारधारा की घोषणा है। वे पारंपरिक राजनीति से हटकर जन-आधारित और मुद्दा-केंद्रित राजनीति की ओर बढ़ रहे हैं। भले ही वे खुद चुनाव न लड़ें, लेकिन उनका 150 सीटों का लक्ष्य बिहार की राजनीतिक तस्वीर को पूरी तरह बदल सकता है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जन सुराज आंदोलन किस रूप में आगे बढ़ता है और क्या प्रशांत किशोर सचमुच बिहार की जनता के दिलों में वह भरोसा जगा पाते हैं, जो उन्हें इस लक्ष्य तक पहुंचा सके।

    For Feedback - feedback@example.com

    Join WhatsApp

    Join Now

    Leave a Comment