बिहार Elections 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, राज्य की सियासत में नए तेवर और मुद्दे उभर रहे हैं। इस बार का चुनाव सिर्फ जाति या पार्टी तक सीमित नहीं दिख रहा, बल्कि “भविष्य” और “रोज़गार” जैसे ठोस मुद्दों पर बहस तेज़ हो गई है। इसी कड़ी में प्रशांत किशोर (PK) ने एक बार फिर बिहार के लोगों से सीधी अपील की है — “अपने बच्चों के भविष्य और रोजगार पर करें वोट।”उनका यह संदेश न सिर्फ एक राजनीतिक बयान है, बल्कि एक सोच है जो बिहार की विकास यात्रा को नए दिशा देने की क्षमता रखता है।
बिहार की राजनीति में नया एजेंडा – रोजगार और विकास
प्रशांत किशोर ने बिहार की जनता से अपील करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब वोट सिर्फ भावनाओं या जातीय समीकरणों पर नहीं, बल्कि ठोस मुद्दों पर डाला जाए।
उनका कहना है कि बिहार के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, और अगर यही स्थिति बनी रही तो राज्य के विकास की रफ्तार कभी नहीं बढ़ेगी। इसलिए उन्होंने लोगों से कहा — “जिसे वोट दें, उससे रोजगार और विकास का हिसाब मांगें।”
‘जन सुराज’ अभियान से जनता के बीच पहुंच
प्रशांत किशोर का यह संदेश उनके ‘जन सुराज अभियान’ के तहत आया है, जो 2022 से लगातार बिहार के गांव-गांव में चल रहा है।
वे खुद सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर लोगों से संवाद कर चुके हैं। यह अभियान बिहार के लोगों को राजनीति की मुख्यधारा में जोड़ने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास है।
युवाओं की आवाज़ को राजनीति में शामिल करने की अपील
PK का मानना है कि बिहार का भविष्य युवाओं के कंधों पर है। लेकिन आज वही युवा या तो बेरोजगार हैं या राज्य से पलायन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य को तभी आगे बढ़ाया जा सकता है जब युवाओं को निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाए। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे सिर्फ वोट डालने तक सीमित न रहें, बल्कि सक्रिय राजनीतिक भूमिका निभाएं।
‘भविष्य’ को केंद्र में रखकर वोट करने का आग्रह
प्रशांत किशोर का संदेश बेहद साफ है — “अगर हम आज भविष्य को ध्यान में रखकर वोट नहीं देंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को वही संघर्ष झेलना पड़ेगा जो हम झेल रहे हैं।”
उन्होंने लोगों से कहा कि नेताओं से वादे नहीं, विकास की योजनाओं का सबूत मांगें। यह चुनाव बिहार के अगले 25 वर्षों की दिशा तय करेगा।
रोज़गार पर फोकस – बिहार के युवाओं का बड़ा मुद्दा
बिहार में बेरोजगारी दर अब भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
प्रशांत किशोर का कहना है कि सरकारों ने रोजगार सृजन को कभी प्राथमिकता नहीं दी, जबकि राज्य में शिक्षा प्राप्त युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
उनके मुताबिक, “अगर शिक्षा और रोजगार का मेल नहीं होगा, तो विकास का सपना अधूरा रहेगा।”
बदलाव की शुरुआत गांवों से होगी
PK का मानना है कि असली राजनीतिक बदलाव गांवों से शुरू होता है।
उन्होंने कहा कि बिहार के गांव अगर जागरूक हो गए, तो राज्य का चेहरा बदल जाएगा।
उनका ‘जन सुराज’ मॉडल इसी सोच पर आधारित है — हर पंचायत में संवाद, हर व्यक्ति से विचार और फिर जनता की जरूरतों पर आधारित नीतियां।
वोट को जिम्मेदारी मानें, न कि मजबूरी
प्रशांत किशोर ने लोगों को यह भी याद दिलाया कि वोट सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, “अगर हम बिना सोचे वोट देंगे, तो वही नेता लौटकर आएंगे जो पांच साल बाद गायब हो जाते हैं।”
उन्होंने वोटरों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों के भविष्य और राज्य की तरक्की को ध्यान में रखते हुए सोच-समझकर वोट करें।
राजनीति को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का संकल्प
PK के मुताबिक, बिहार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि राजनीति जवाबदेही से दूर हो गई है।
उन्होंने वादा किया कि अगर बिहार की जनता उन्हें मौका देती है, तो वे राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का काम करेंगे।
उनका मानना है कि नेताओं को जनता के सवालों का जवाब देना चाहिए, न कि उनसे बचना चाहिए।
महिलाओं की भूमिका पर जोर
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि बिहार में महिलाएं परिवर्तन की सबसे बड़ी शक्ति बन सकती हैं।
उन्होंने कहा कि महिलाओं की शिक्षा और रोजगार से जुड़ी नीतियां किसी भी समाज को आगे बढ़ाने में निर्णायक होती हैं।
उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे अपने परिवार और बच्चों के भविष्य के लिए जागरूक होकर वोट करें।
बिहार के लिए नई सोच – ‘जन का शासन, जन के साथ’
अंत में PK ने अपने विज़न को “जन का शासन, जन के साथ” कहा।
उनका संदेश है कि बिहार को किसी एक नेता या पार्टी की नहीं, बल्कि जनभागीदारी वाली राजनीति की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अगर जनता सच में परिवर्तन चाहती है, तो उसे अपने हाथों में फैसला लेना होगा — और वह फैसला वोट के जरिए ही संभव है।
निष्कर्ष: वोट की ताकत से बदलेगा बिहार का भविष्य
प्रशांत किशोर का संदेश बिहार की राजनीति में नई उम्मीद जगाता है।
उनकी अपील न सिर्फ चुनावी भाषण है, बल्कि एक सामाजिक आह्वान भी है।
उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि बदलाव किसी एक व्यक्ति या पार्टी से नहीं, बल्कि जनता की जागरूकता और जिम्मेदारी से आएगा।
2025 का बिहार चुनाव इस बार सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि विचार परिवर्तन का चुनाव साबित हो सकता है।
अगर बिहार की जनता वाकई अपने बच्चों के बेहतर भविष्य, रोजगार और सम्मानजनक जीवन के लिए वोट करती है, तो यह राज्य भारत के सबसे प्रगतिशील राज्यों में से एक बन सकता है।





