बिहार चुनाव: तेजस्वी यादव के निर्वाचन क्षेत्र में रोड शो के बाद प्रशांत किशोर के खिलाफ FIR दर्ज

By: Rebecca

On: Monday, October 13, 2025 4:28 AM

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बिहार की राजनीति में चुनाव से ठीक पहले एक नई हलचल देखने को मिल रही है। चुनावी माहौल में जहां हर नेता जनता से जुड़ने की कोशिश में जुटा है, वहीं जन सुराज यात्रा के जरिए अपनी राजनीतिक ज़मीन मज़बूत कर रहे प्रशांत किशोर अब विवादों में घिर गए हैं। तेजस्वी यादव के निर्वाचन क्षेत्र में किए गए उनके रोड शो के बाद उन पर FIR दर्ज की गई है।

घटना की शुरुआत – रोड शो बना विवाद का कारण

प्रशांत किशोर ने हाल ही में बिहार के कई जिलों में अपनी जन सुराज यात्रा के तहत रोड शो किया। इसी कड़ी में वे तेजस्वी यादव के निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर (वैशाली जिला) पहुंचे। वहां उन्होंने जनता से संवाद किया और बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी। इसी दौरान स्थानीय प्रशासन ने कहा कि यह रोड शो बिना उचित अनुमति के आयोजित किया गया था, जिसके चलते विवाद शुरू हो गया।

FIR दर्ज होने का कारण

स्थानीय पुलिस ने बताया कि रोड शो के आयोजन में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आचार संहिता) का उल्लंघन किया गया है। साथ ही, ट्रैफिक व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण के नियमों की अवहेलना का भी आरोप लगाया गया। इस आधार पर प्रशांत किशोर और आयोजन टीम के खिलाफ FIR दर्ज की गई।

प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया – राजनीतिक साज़िश का आरोप

FIR दर्ज होने के बाद प्रशांत किशोर ने इसे राजनीतिक साज़िश करार दिया। उन्होंने कहा कि, “जन सुराज यात्रा जनता की आवाज़ बन चुकी है, और जो लोग इससे डर गए हैं, वही इस तरह के झूठे मामले दर्ज करवा रहे हैं।” उन्होंने यह भी दावा किया कि वे किसी से अनुमति लेने के मोहताज नहीं हैं, क्योंकि जनता का समर्थन ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

तेजस्वी यादव की प्रतिक्रिया – अप्रत्यक्ष हमला

तेजस्वी यादव ने सीधे तौर पर इस विवाद पर प्रतिक्रिया तो नहीं दी, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि प्रशांत किशोर केवल राजनीतिक ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। वहीं RJD कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि किशोर अपने अभियान के नाम पर स्थानीय प्रशासन पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं।

जन सुराज यात्रा की पृष्ठभूमि

प्रशांत किशोर की “जन सुराज यात्रा” पिछले एक वर्ष से बिहार के विभिन्न जिलों में चल रही है। इस यात्रा का उद्देश्य बिहार के विकास मॉडल पर नई बहस छेड़ना और जनता से सीधे संवाद करना है। किशोर ने कई बार कहा है कि वे किसी पार्टी के खिलाफ नहीं, बल्कि एक नई सोच और नई व्यवस्था की बात कर रहे हैं।

चुनावी समीकरणों पर प्रभाव

यह मामला अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का केंद्र बन गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस FIR से किशोर को राजनीतिक नुकसान के बजाय फायदा हो सकता है, क्योंकि यह उन्हें “प्रणाली के खिलाफ लड़ने वाले नेता” के रूप में पेश करता है। बिहार में पहले भी कई नेताओं ने इसी रणनीति के तहत लोकप्रियता हासिल की थी।

प्रशासनिक पक्ष – नियमों का हवाला

वैशाली प्रशासन ने अपने बयान में कहा है कि किसी भी राजनीतिक या जनसभा कार्यक्रम के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। प्रशांत किशोर की टीम ने लिखित अनुमति नहीं ली थी, इसलिए यह कार्रवाई पूरी तरह से कानून के दायरे में की गई है। अधिकारियों के मुताबिक, यह कदम किसी भी व्यक्ति या दल विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि कानूनी प्रक्रिया का पालन है।

जनता की प्रतिक्रिया – समर्थन और आलोचना दोनों

स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कई लोगों ने कहा कि प्रशांत किशोर जनता की समस्याएं उठाने का साहस दिखा रहे हैं और उन्हें परेशान करना गलत है। वहीं, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि अगर उन्होंने अनुमति नहीं ली थी तो कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है।

राजनीतिक भविष्य पर असर

प्रशांत किशोर ने अभी तक किसी राजनीतिक दल की औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन उनकी यात्रा और भाषणों से यह साफ झलकता है कि वे 2025 बिहार विधानसभा चुनावों में कोई अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस FIR प्रकरण से उनकी पहचान और भी मजबूत हो सकती है — खासकर उन युवाओं के बीच जो नई राजनीति की उम्मीद कर रहे हैं।

आगे की राह – जन समर्थन या कानूनी जंग

अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशांत किशोर इस मामले को कैसे संभालते हैं। क्या वे इसे राजनीतिक मंच से उठाकर जन आंदोलन में बदलेंगे, या कानूनी रूप से अपनी बेगुनाही साबित करने की राह चुनेंगे? फिलहाल इतना तय है कि इस FIR ने बिहार की राजनीति में एक नई हलचल जरूर पैदा कर दी है। चुनावी माहौल में यह मामला आने वाले दिनों में और बड़ा मुद्दा बन सकता है।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव के बीच यह अप्रत्यक्ष राजनीतिक टकराव अब खुली चुनौती के रूप में उभर रहा है। FIR का यह मामला केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति के बदलते समीकरणों का संकेत भी है। जहां एक ओर RJD अपने परंपरागत वोट बैंक को साधने में लगी है, वहीं दूसरी ओर प्रशांत किशोर जनता के बीच नई उम्मीदें जगा रहे हैं। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह FIR उनके राजनीतिक सफर को रोक पाएगी या फिर उन्हें और भी मजबूती देगी।

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